नक़ाब।
नकाब को चेहरे से हटाने की रात आई है,
घुघट में यूँ चाँद को देखने की रात आई है।
वो आये है इस महफिल में चांदनी लेकर,
रोशनी में नहा कर यूँ कद्र ए शाम आई है।।
?
“ताज मोहम्मद”
नकाब को चेहरे से हटाने की रात आई है,
घुघट में यूँ चाँद को देखने की रात आई है।
वो आये है इस महफिल में चांदनी लेकर,
रोशनी में नहा कर यूँ कद्र ए शाम आई है।।
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“ताज मोहम्मद”