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11 Jan 2022 · 1 min read

नक़ाब।

नकाब को चेहरे से हटाने की रात आई है,
घुघट में यूँ चाँद को देखने की रात आई है।
वो आये है इस महफिल में चांदनी लेकर,
रोशनी में नहा कर यूँ कद्र ए शाम आई है।।

?
“ताज मोहम्मद”

Language: Hindi
Tag: शेर
362 Views
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