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22 Apr 2023 · 1 min read

*न्याय-व्यवस्था : आठ दोहे*

न्याय-व्यवस्था : आठ दोहे
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
दो हफ्ते की मिल रही ,हर पेशी तारीख
जूते-चप्पल घिस गए ,दुखी मनुज की चीख
(2)
जिसको स्टे मिल गया ,खुलती है तकदीर
निर्णय आने के लिए ,अब है कौन अधीर
(3)
कानूनों का अर्थ क्या ,जज का निजी विचार
जिस के चेंबर में गया , पाएगा आकार
(4)
पूर्वाग्रह सबके रहे ,करते तोड़-मरोड़
निर्णय आया पक्ष में ,तिकड़म है बेजोड़
(5)
फँसा मुकदमे में मनुज ,न्यायालय के द्वार
खुद बूढ़ा हो चल बसा ,पोता अब तैयार
(6)
समयबद्ध कैसे मिले ,जनमानस को न्याय
सोचो कुछ उस पर करो ,अभिनव त्वरित उपाय
(7)
लगा मुकदमा बिक गया ,दोनों का घर-बार
हारे या जीते हुआ ,सब का बंटाधार
(8)
अब अभिन्न है न्याय का ,तिकड़मबाजी अंग
मजे ले रहे सेठ जी ,नेता और दबंग
—————————————————
तारीख = तिथि
तकदीर = किस्मत ,भाग्य
अधीर = व्याकुल
पूर्वाग्रह = पहले से बना बनाया विचार
चेंबर = न्यायालय का एक कक्ष
समयबद्ध = निश्चित समय के भीतर
स्टे = स्थगन आदेश
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1 Like · 500 Views
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