न्याय का पथ
न्याय की पथ हमसबों को
देश को आगे लाना होगा
दुनिया में अपना अस्तित्व
पहले जैसा बनाना होगा।
न्याय की पगडंडी होती
बड़ी कठोर इस जहां में
इस परिपाटी पर चलना
न सबकी बस की बात ।
न्याय की आचरण पर हमें
चल – चल के अनागत में
अपना देश होगा प्रस्फुरण
जग में दृष्टान्त बनना होगा।
नीति की निर्वाह पर चलने में
आएगी हजार – लाख कीम
चित्त करेगा जग छोड़ने को
संसृति छोड़ने वाले हम नहीं।
निर्णीत के पैठ पर बढ़ना होगा
आक्रोश में विपुल नर – नारी
कर बैठते नादुरुस्त प्रद्युम्न
सत्यनिष्ठा के पथ पे सदा बढ़े ।