नौकरी (२)
सोचूँगा, फिर एक बात लिखूंगा ,
जज्बात लिखा, एहसास लिखूँगा ।
तेरे इश्क को अपने साथ लिखूंगा,
गर्दन पकड़े तेरा हाथ लिखूंगा ।।
अपने जीवन के अवसाद लिखूंगा ,
हरदम तेरी फ़रियाद लिखूंगा
तेरे पीछे खुद को बर्बाद लिखूंगा ,
तेरी तन्हाई में, खुद को आबाद लिखूंगा ।।
तुझे देखूँगा, फिर तेरी बात लिखूंगा,
तारीफ लिखा, फरियाद लिखूंगा ।
तुझे दिन और खुद को रात लिखूंगा ,
लेकिन आज, कोई न कोई बात लिखूँगा ।।
©अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’