गुरुजन को अर्पण
प्रारब्ध को बदला नहीं जा सकता पर यादगार बनाया जा सकता।
गुरुजन को समर्पित कविता
*आपने हमको पहुंचाया*
अविश्वास से विश्वास तक
अस्पष्टता से स्पष्टता तक
अस्वीकार्य से अंगीकार तक
अप्रशिक्षण से प्रशिक्षण तक
अनिर्णय से निर्णय तक
ज़मी से फ़लक तक
नि: शेष से अशेष तक
निजत्व से निस्वार्थता तक
बाह्रय से आत्मिकता तक
मन से मनन तक
सीमाओं से अनंता तक
संक्षेप से विस्तार तक
स्वागत द्वार से रक्षा कवच तक
आभार सहित
रजनी कपूर