नोटबंदी साठा-1
(1)
नव विहान होने लगा है,
पंक्तियाँ सिमटने लगी हैं,
देश शीघ्र ही कैशलेस हो जायेगा,
देश अचानक शिक्षित हो जायेगा,
कुदाल फावड़े पकड़ने वाले हाथ
अब माउस पर होंगे
देश का विकास शब्दावलियों,
नारों,
और अचानक उग आये
बिना बीज के पौधों
से होने लगा है.
(2)
राजनीतिक दलों द्वारा जमा धन पर
कोई नहीं टैक्स,
न होगी पूछ-ताछ
यह हम हैं,
और यह मेरा देश,
देखो हम कैसे बदलते हैं भेष.
हम भुनाते हैं-
आम आदमी की भावनाओं को
और फैला देते हैं क्लेश.
धन्य है
यह अदृश्य भाईचारा,
हे देशभक्तों –
कब समझोगे
कब तोड़ोगे
कारा.
(3)
कुकुरमुत्ते भी
अब हरे हो गए हैं,
खेतों में
संचार क्रांति ने दस्तक दे दी है,
पौधों में
भांति-भांति के रिंगटोन बजने लगे हैं,
किसान,
सचमुच कैशलेस हो गए हैं.