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30 Aug 2021 · 1 min read

नेह

नेह भरा गाम्भीर्य
करता उत्पत्ति स्पर्श की
तन से तन का ना हो मेल
मन से मन का जरूरी

विचारों का विचारों से
हो सुमेलित स्पर्श
भावों का भावों से
हो कोमल स्पर्श

ना हो मलिनता
मन की कालिमा की
ना हो बूँ
आकुल वासना की

नेह पनपता वहाँ
जहाँ मानसिकता हो
साफ सुथरी
जहाँ हो मन स्वच्छता

Language: Hindi
79 Likes · 478 Views
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