नेह
नेह भरा गाम्भीर्य
करता उत्पत्ति स्पर्श की
तन से तन का ना हो मेल
मन से मन का जरूरी
विचारों का विचारों से
हो सुमेलित स्पर्श
भावों का भावों से
हो कोमल स्पर्श
ना हो मलिनता
मन की कालिमा की
ना हो बूँ
आकुल वासना की
नेह पनपता वहाँ
जहाँ मानसिकता हो
साफ सुथरी
जहाँ हो मन स्वच्छता