नेता
जब मन में उठा लेता हूं
तो उनको भी जान लेता हूं
जो स्वयं को समाज राष्ट्र व्यक्ति का हितैषी होने का स्वांग रचा करते हैं सामाजिक सम्मेलन
चुनावी सभाओं
दुर्घटनाओ शोक सभाओ में
आकस्मिक क्षणिक संवेदना
और झूठी आत्मीयता प्रकट कर
पीड़ितों के मन में
सुख संतोष का संचार करने में
सफल होते हैं
विफल होते हैं तो केवल आमजन
जो उनको पहचानने में हर बार गलती करने के लिए विवश होते हैं
किसी न किसी को तो चुनना होता है
पर नियति का खेल
धोखा जनता के साथ होता है
@ओम प्रकाश मीना