नेता
सावधान!
मैं नेता हूँ
जनता का प्रतिनिधि
जो बढ़ाता है,
बहुविधि अपनी निधि।
मेरी हर गतिविधि
होती है अत्यन्त रहस्यमयी
मैं फेंकता हूँ
कुछ इस तरह,
जनता की रूह में उतर जाती है।
मैं मुकरता हूँ ऐसे
जनता समझ ले मजबूरी है।
मैं कैसे समझाऊँ
समझाना भी नहीं चाहता
मेरी हर गतिविधि में
छूपा बड़ा मर्म है
वादा करके मुकर जाना
असली नेता का धर्म है।
मैं अत्यन्त धार्मिक हूँ,
सहिष्णु और समाजवादी भी,
मैं, मैं हूँ
मेरा धर्म है
जनता की भावनाओं से खेलना
और समय आने पर
उसे अपनी कुर्सी के
पाए बनाना।
यह जनता है,
जो समझती ही नहीं,
मेरा अपना एक धर्म है,
कुर्सी के लिए
हद तक गिर जाने में
नहीं कोई शर्म है।
मैं नेता हूँ
प्रतिपल कोसता हूँ औरों को
और स्वयं
जनता के खून को
चूसता हूँ,
मांस तो है नहीं
तो हड्डियों को
भकोसता हूँ
मैं नेता हूँ।