नेताजी सुभाषचंद्र बोस
भारत माँ का सच्चा बेटा,
वह भारत का हितकारी था,
अत्याचारी अंगरेजों का,
वह तो पक्का प्रतिकारी था।
भारत की आज़ादी के हित,
उसने सब अर्पित कर डाला,
तन-मन ही नहीं समर्पित था,
सर्वस्व समर्पित कर डाला।
दुनियाँ के दादाओं से वो,
हरदम भिड़ने को उत्सुक था,
हर हाल में पाने आज़ादी,
वो हरदम ही लालायित था।
आई सी एस बना फ़िर भी,
अपनी डिग्री को फाड़ दिया,
अंगरेजों का नौकर बनना,
न उसने था स्वीकार किया।
क्योंकि वो पैदा हुआ नहीं,
था दास किसी का बनने को,
वो पैदा हुआ धरा पर था,
आज़ाद वतन को करने को।
दुनियाँ का तानाशाह जिसे,
हिटलर सब लोग बोलते थे,
नेता सुभाष का आलिंगन,
करने को हाथ खोलते थे।
हिटलर बोला नेता सुभाष,
दिल्ली की ओर बढ़े जाओ,
गोरों की छाती के ऊपर,
बनकर के काल चढ़े जाओ।
इसलिये बना आज़ाद हिन्द,
उसने गुंजित जय हिन्द किया,
गोरों की छाती पर प्रहार,
था शेरों के मानिन्द किया।
बोले दिल्ली की ओर चलो,
अपनी दिल्ली को जीतेंगे।
जिन अँगरेजों का कब्ज़ा है,
उनको हम लोग घसीटेंगे।
तुम मुझे ख़ून दो मैं तुमको,
आज़ादी आज दिलाऊंगा,
इन नीच, कमीने गोरों को,
भारत से मार भगाऊंगा।
उस शेर की सुनकर के दहाड़,
लोगों ने नहीं विलम्ब किया,
हो लिये साथ में उसके फ़िर,
सबने मिलकर जय हिन्द किया।
पहुँचे सिंगापुर नेताजी,
और यूनियन जैक उतार दिया,
भारत का प्रिय तिरंगा फ़िर,
सिंगापुर में था गाढ़ दिया।
नेता सुभाष हुंकारे जब,
अंगरेज सल्तनत थर्राई,
उनके प्रयास से ही भारत,
माता ने आज़ादी पाई।
है बारम्बार प्रणाम उन्हें,
शत्-शत् उनका अभिनन्दन है।
कर गए निछावर प्राण यहाँ,
उन सब वीरों का वन्दन है।
“रोहित” जब तक इस धरती पर,
दिन-रात और यह शाम रहे,
तब तक अम्बर में अनुगुंजित,
नेता सुभाष का नाम रहे।।
जय हिंद!??
✍️ रोहित आर्य