नेक नियत
दिनांक 8/4/19
जियो जिन्दगी ऐसी
कि हर जगह मान हो
निकलो घर से तो
चेहरे पर मुस्कान हो
कमाई है
जिन्दगी की,
मान-सम्मान
बदनामी में तो
जी लेते हैं लोग
लिए जिन्दगी
अपमान
पैसों से तोलो मत
हैसियत इन्सान की
ईमान तो होता है
दोस्तों , फकीर का
मांगना है
मौला से तो
ईमान मांगो
गुमनाम जिन्दगी
तो अपमान की
कमानी है
मान – अपमान
के फेरे में
मत पड़ इन्सान
नेक-नियत ही हो
तेरा ईमान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल