नेक इंसान मिस्त्री महीपाल
**नेक इंसान मिस्त्री महीपाल**
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संघर्ष की अनोखी सुनो दास्तान
मिस्त्री महीपाल है अच्छा इंसान
माता पिता दिहाड़ीदार मजदूर
पर घर में कायय कायदे दस्तूर
तंगहाली में बीता उनका बचपन
थमने नहीं दी दिल की धड़कन
विषष परिस्थिति के वो थे आदी
स्नातक,डीपीएड अर्जित उपाधि
इम्तिहान पास किए कई सरकारी
नौकरी न मिल पाई उन्हे सरकारी
निजी स्कूल में थे कार्यरत शिक्षक
कभी न बन पाए सरकारी शिक्षक
मुश्किल हो गया था जब गुजारा
श्रमिक मिस्त्री का काम विचारा
पारिवारिक जीवन भी रहा तंग
जिन्दगी के बदलते रहे बहुतेरे रंग
निजी जीवन उनका कटी पतंग
पहली पत्नी ने किया बहुत तंग
दूसरी शादी भी उन्हे रास न आई
एक्सीडेंट में दूसरी पत्नी गंवाई
जीने की जब उन्होंनें छोड़ी आशा
तीसरी पत्नी साथ दिया बेतहाशा
खुशी से जी रहे पत्नी बच्चों संग
पर मन के कोने में था एक दंभ
भावी विधायक ने जब ललकारा
चुनाव लड़ने का दे था दिया नारा
विधायक का उन्होंने लड़ा चुनाव
बेशक वो गएं हों वह हार चुनाव
अनुभव ने बना दिया उन्हें नादान
हैं वह सज्जन पुरुष और विद्वान
परिस्थिति में लिया खुद को ढाल
ईमानदारी से ली गृहस्थी संभाल
मनसीरत सादा जीवन उच्च विचार
महीपाल मिस्त्री के बड़े नेक विचार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)