#नेकी ही धनवान
#नमन मंच
#रचनाकार राधेश्याम खटीक
#विषय नेकी ही धनवान
#दिनांक २३/१०/२०२४
#विद्या गीत
कल की जो गलती आज को खाए,
समझो कुदरत की पद चाप !
कल की जो गलती आज को खाए,
समझो कुदरत की पद चाप !
ये दावा नेकी ही धनवान…
दावा नेकी ही धनवान…
ये दावा नेकी ही धनवान…
जाल बिछा पाखंड वाला
लूट रहे बेचारों को !
शर्म हया को भूल के दुनियां,
मस्त है आज व्यभिचारों में !
नैतिकता को देखने वाली
आंखें भी है हैरान ?
आंखें भी है हैरान ?
ये दावा नेकी ही धनवान…
दावा नेकी ही धनवान…
ये दावा नेकी ही धनवान…
शोहरत का कुछ भी नहीं भरोसा
कल किसी और की हो जानी है
दुनिया को कुछ देते जाओ,
सारी दुनिया पा ली है !
छोड़ जाएगा कल ये दुनियां
आज कर लो उसका ध्यान,
आज कर लो उसका ध्यान,
ये दावा नेकी ही धनवान…
दावा नेकी ही धनवान…
ये दावा नेकी ही धनवान…
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान