नीलेश
दुनिया में फरेबी और झूठे भी हैं
पर राह में खड़े तुम – से, सच्चे भी तो हैं।
धड़कता है सभी के सीने में – दिल
पर सीने में तुम्हारे तो, चमकता भी है।
आदतों में शुमार सभी की, निंदा और ईर्ष्या है
तुम्हारे अस्तित्व में दुलार, प्रेम और प्रशंसा ही है।
सोचती हूं, मिल जाते तुम बचपन में कहीं
खेल खेल में, बढ़ जाते तुम संग राहों में यहीं।
मिले हो अपने पचपन में, तो क्या
मित्र, तुम सा कोई मिला भी तो नहीं हैं।
जीवन में तुम्हारे सादगी परिपूर्ण है
तुम्हारे रक्त में बहती ‘सरिता’ प्रेम की है।
मन में तुम्हारे दुर्लभ करुणा अपूर्व है
आगे बढ़ने की ओर निरंतर आकांक्षा भी है।
सच कह गए विलियम, एक ज़माने में,
बुतो और सुनहरी इमारतों से उत्तम
रिश्ता उत्कृष्ठ मित्रों का है।
सौभाग्यशाली समझती हूं खुद को,
संबंध मित्रता का निभाया तुमने।
‘नीलेश’ से प्रार्थना है अब मेरी,
मित्रता उन्नती की ओर अग्रसर रहे हमारी।।