नीयत में पैमान मिलेगा।
नीयत में पैमान मिलेगा।
तो तुझको सम्मान मिलेगा।
क्या लाये जो खोया तुमने..?
आखिर में शमशान मिलेगा।
यूँ ही ब़ैर रखोगे मन में,
तो कैसे भगवान मिलेगा..?
मसले देरी से सुलझे ग़र,
हर रिस्ता क़ुर्बान मिलेगा।
खूं के बदले खूं माँगोगे,
तो खाली मैदान मिलेगा।
जो पुख़्ता बुनियाद करोगे,
सज़दे में तूफ़ान मिलेगा।
चार-आने हैं जेब में मेरे,
कब सस्ता सामान मिलेगा..?
मत बन झोलाछाप “परिंदे,”
पढ़ लिख कर ही ज्ञान मिलेगा।
पंकज शर्मा “परिंदा”🕊