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21 Jun 2019 · 1 min read

#ग़ज़ल-22

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा

वज़्न-212-212-212-2

हर क़दम हर जगह मैं चलूँगा
रूप तू आइना मैं बनूँगा/1

आँख भी बंद कर देखिएगा
ख़्वाब में हर कहीं मैं दिखूँगा/2

तू लहर की तरह आइएगा
तीर बन शौक़ से मैं मिलूँगा/3

ग़ैर हैं छोड़ते जो हमें वो
नासमझ ही उन्हें पर कहूँगा/4

हर पहर हर घड़ी मौज़ मैं हूँ
देखके मैं तुझे ये कहूँगा/5

नीम है तू मगर है दवा भी
रोग हूँ मैं लिए ना टलूँगा/6

शाम है है सुबह भी तुझी से
नाम हर शै तेरे ही लिखूँगा/7

-आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

1 Like · 377 Views
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