Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

नीम की झूमती डाल के पार

नीम की झूमती डाल के पार
उगता हुआ लाल सा सूरज
पूरे व्यास पर डोलती नीम की पत्तियां
सौंदर्य कई गुना ,
शीतल ,सुंदर सूरज
आंखों को शीतल कर रहा है
और यह नेत्र तो खो गए हैं
उस अनुपम सुबह के सौंदर्य में
जहां मधु की गुंजार है
कलरव का संसार है
महकी सी बयार है
मन में उठ रही मल्हार है,
मन बहुत शांत ,शीतल हो रहा है ,
वहीं सूरज…
चुपके-चुपके प्रतिपल
अपने ताप को शत गुना कर रहा है
छोड़ दिया नीम की पत्तियों का साथ
छोड़ दिया रंगों का हाथ
नभ पर चढ़ता हुआ सूरज
सभी रंगों को विलीन कर चुका है
मध्य आकाश में
श्वेत प्रचंड रश्मियों से युक्त हो
वह तो सूरज है …
आंख मिचौली का साधन नहीं
उसे तो कोई महावीर ही
अपने मुख में कर सकता है
उसकी पूर्ण दैदीप्यमान ,
आभा के साथ….

~माधुरी महाकाश

Language: Hindi
23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
टूटी बटन
टूटी बटन
Awadhesh Singh
"देखकर उन्हें हम देखते ही रह गए"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
"यादों के झरोखे से"..
पंकज कुमार कर्ण
मायका
मायका
Mukesh Kumar Sonkar
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
श्री राम अमृतधुन भजन
श्री राम अमृतधुन भजन
Khaimsingh Saini
#प्रतिनिधि_गीत_पंक्तियों के साथ हम दो वाणी-पुत्र
#प्रतिनिधि_गीत_पंक्तियों के साथ हम दो वाणी-पुत्र
*प्रणय प्रभात*
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
3463🌷 *पूर्णिका* 🌷
3463🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
नववर्ष का नव उल्लास
नववर्ष का नव उल्लास
Lovi Mishra
*शब्द*
*शब्द*
Sûrëkhâ
Expectations
Expectations
पूर्वार्थ
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
Vinit kumar
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गुरु श्रेष्ठ
गुरु श्रेष्ठ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
Neelam Sharma
Oh, what to do?
Oh, what to do?
Natasha Stephen
वाणी से उबल रहा पाणि💪
वाणी से उबल रहा पाणि💪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
स्मृतियाँ  है प्रकाशित हमारे निलय में,
स्मृतियाँ है प्रकाशित हमारे निलय में,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
विश्वास
विश्वास
Paras Nath Jha
काले काले बादल आयें
काले काले बादल आयें
Chunnu Lal Gupta
आगाज़
आगाज़
Vivek saswat Shukla
"ईद-मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कोई पूछे तो
कोई पूछे तो
Surinder blackpen
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
"स्मृति"
Dr. Kishan tandon kranti
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
*सूरत चाहे जैसी भी हो, पर मुस्काऍं होली में 【 हिंदी गजल/ गीत
Ravi Prakash
मुश्किल है कितना
मुश्किल है कितना
Swami Ganganiya
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
मेरे चेहरे पर मुफलिसी का इस्तेहार लगा है,
Lokesh Singh
Loading...