नींदें कोई चुरा गया
नींदें कोई चुरा गया अब ख्यावों में
हर रात जगा गया मुझे ख्यालों में
हुस्न अभी मेरा निखरा नित नूतन यूँ
फैला दी सूरज ने लाली गालों में
हो कर तन्हा तुझसे , रूठ गयी मैं
भरा मुझे तूने ही अपनी बाँहो में
दिन रात देखती हूँ इन्तजार तेरा
तिल तिल कर जलती ही कब से यादों में
गर न साथ होता तो , मिट जाता वजूद
खूब साथ निभा लिया तूने वादों में
चहकी चहकी फिरती दिल की गलियों में बहकी बहकी हो कर खोयी रातों मे
चाहत में तेरी अपने को बेच दिया
तभी बनी प्यारी अपनों की नजरों में
अनेक हिस्सों में चूर किया है दिल को
फिर भी आ रहा नजर इन्हीं टुकड़ों में