निष्फल हो जाये
कुंडलिया छंद…
निष्फल हो जाये नहीं, जीवन का मंतव्य।
इसीलिए हो ध्यान यह, क्या कैसा गंतव्य।।
क्या कैसा गंतव्य, बढ़े पग उन्मुख तत्पर।
दृढ़ता ध्येय विचार, नष्ट संशय गुरुता हर।।
निर्मल सुख संवाद, दुष्टता जाये ही जल।
‘राही’ सुन्दर कर्म, नहीं होता है निष्फल।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’