निर्लज्ज राजनीति
तांका मालिका .. राजनीति
********
राजनीति तो
बन गयी निर्लज्ज
शर्म गायब
लिहाज़ भी ग़ायब
स्वार्थ हुआ सर्वोच्च
सिद्धांत वोह
किसका है ये नाम
ईमानदारी
कैसी चिड़िया होती
स्वार्थ साधो अपना
बाप बेटा हो
या वो चाचा भतीजा
न कोई रिश्ता
रहा महत्वपूर्ण
अपनी गोटी लाल
जनता बनीं
वोट बटीं जातियाँ
उन्हें लड़ाओ
मार काट कराओ
ध्रुवीकरण होता
हमें जीतना
येन केन प्रकारेण
युद्ध या प्यार
सब कुछ जायज़
निर्लज़्ज़ राजनीति
देश को बाँटा
धर्म..भाषा..क्षेत्र..में
आरक्षण में
अगड़ा पिछड़ा में
फूट डालो सब में
फूट डालो औ
राज करो की नीति
अंग्रेजों की ही
अपनाई सबने
निर्लज़्ज़ राजनीति