निर्मम हत्याएं
क्यों जाति धर्म पर मार रहे, निर्दोषों को इंसान रे
हिंदू ने मरता मुस्लिम न मरता ,मर जाता इंसान रे
गोली और बम विस्फोटों से, जो मरते हैं इंसान रे
बे भी तो है खुदा के बंदे, सोच जरा ईमान से
लाशें देख मासूमों की, किसका दिल ना रोया
इंसान तो क्या भगवान, अपने आंसू रोक न पाया
रोक न पाया होगा आंसू, खुदा भी सुन इंसान रे
शैतानों के काम करो मत ,इंसान हो तुम इंसान रे