गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही।
कहूंँ कैसे हिंद चोटी गगनचुंबी दिख रही।
देखकर दिल्ली न बोलो विश्व का हम मान हैं।
निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है।
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बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
25-02-2017
✓उक्त रचना को “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।
✓”पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।