निर्णायक मोड़
फैसला तुम्हें
करना है आज
ठहराव चाहिए
या इंकलाब…
किधर जा रहा
अपना देश
किधर जा रहा
अपना समाज…
होना पड़ेगा
फिर से ग़ुलाम
लौटे अगर वे
तख्त और ताज…
रहबर कभी
ज़िंदा कौमों के
होते नहीं हैं
मूर्दा रिवाज़…
नौजवानों को
हथियार नहीं,
चाहिए सिर्फ़
कलम और किताब…
Shekhar Chandra Mitra
#RomanticRebel
#CommunalPolitics