निर्झर
निर्झर
मात्रा १३ _ १२
छोड़ शिखरों की गोदी
निर्झर झर- झर बहता
धार रूप धवल जलबिंदु
मैं झरना हूं कहता।
प्यास बुझाने सभी की
नित नित चोटें खाता
बाधा से न घबराकर
अपनी राह बनाता।
अपने जीवन भर सदा
गीत खुशी के गाता
पकड़ लय पवन सुरों की
मधुरिम राग सुनाता ।
चूमे तन झाड़ियों के
शीतल नीर पिलाता
आ नदी की गोद में
संगम प्यास बुझाता।
बन कर निर्झर हम सभी,
शपथ आज यह कर ले
जितना सम्भव हो सके
दुख औंरों के हर ले।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश