निरंतर खूब चलना है
** गीतिका **
~~
पथिक को बिन रुके हर दिन निरंतर खूब चलना है।
सहन करने सभी मौसम कठिन पथ से गुजरना है।
कभी आंधी कभी वर्षा कहीं हैं शूल राहों में।
सभी हैं दोस्त जब अपने सभी के साथ बढ़ना है।
उजाला ही उजाला है मिटा तम हर तरफ देखो।
हुई जब भोर है रौशन हमें तैयार रहना है।
यहां अपने हुआ करते समय के साथ बेगाने।
जरूरी है जमाने में सफल बन आज दिखना है।
नहीं खामोश रहना है लगे जब दांव जीवन में।
हकीकत में दिखा देना दिखा जो आज सपना है।
सभी के हैं चहेते खूब सावन के सघन ये घन।
छमाछम बरसने से पूर्व इनको भी गरजना है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)