नित बढ़ रहें हैं जिनके दाम! डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम!!
विगत कुछ दिनों से,
थोड़े-थोडे करके,
बढ़ते रहे, जिनके दाम,
डीजल पैट्रोल हैं इनके नाम।
यूं तो इनके बढ़ने का सिलसिला,
तब शुरू हुआ था,
जब देश में मनमोहन सिंह का राज,
हुआ करता था।
लेकिन तब तेल उत्पादक देशों में ही,
इनके दामों में उछाल आया था,
यह अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का,
निदान और समाधान ना होने का था परिणाम।
किन्तु इसका बुरा असर,
अपने देश के नागरिक पर,
ना पड़े, इसे लेकर,
जिसने इस हालत में भी,
कीमतों पर नियंत्रण रख कर,
आम आदमी को राहत देकर,
इसका भार स्वंयम सरकार पर डाल कर,
नियंत्रित रखा,
और तेल कंपनियों को,
मनमाने दाम ना वसूलने पर,
किया तत्पर।
लेकिन जनता को उनका यह प्रयास,
कोई नहीं भाया था,
इस लिए जनता ने नाराज होकर,
इन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था।
तब जो मुख्य विपक्षी दल में थे,
आज वह ही सत्ता पर काबिज भी हैं,
जो तब कहा करते थे,
बहुत हुई डीजल पैट्रोल की मार,
अबकी बार मोदी सरकार।
और जनता को उनका यह अंदाज,
बहुत पसंद आया,
बिना झिझके ही उसने,
इन्हें पूर्ण बहुमत से सत्ता में बिठाया।
अब देखिए उनका हाल,
सत्ता में हो गये हैं पूरे छः साल,
एक बार भी इनके दाम ना घटाए,
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गिरती कीमतों के बाद भी,
इन्होंने इसके दाम बढ़ाए।
लेकिन हद तो तब हो गई है,
जब इसके दामों में,
एक तिहाई गिरावट हो गई है,
और यह नित-प्रतिदिन,
इसके दाम बढ़ाते आ रहे हैं,
पुछने पर इसका दोष,
राज्य सरकारों पर लगा रहे हैं।
ऐसा भी एक समय आया था,
जब प्रधानमंत्री जी ने,
यह फरमाया था,
इसके दाम हमारी किस्मत से गिर रहे हैं,
तो यह भी साबित हो रहा है,
इसका फायदा भी यही तो उठा रहे हैं।
इस देश को माननीय ,
एक प्रयोगशाला में तब्दील कर रहे हैं,
नये-नये प्रयोग यह हर साल करते आ रहे हैं
नोट बंदी से जो सिलसिला शुरू हुआ था,
वह तालाबंदी तक चलते आ रहे हैं,
प्रयोग होने को आमजन विवश हो रहा है,
विपक्ष को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है,
अब अपने वजूद को बचाने का माद्दा भी नहीं रहा,
आज तो आम आदमी अपनी बेबसी पर रो रहा है।।