$निज पहचान
#गीत- निज पहचान।
नकल किसी की अगर करोगे, खो दोगे निज पहचान।
लीक नयी तुम खोज़ निकालो, होगा जग में गुणगान।।
सूरज चाँद-सितारे देखो, धरती-अंबर के मीत।
सागर नदी किनारे देखो, तुम जानो इनकी प्रीत।
हर शै की है इस दुनिया में, अपनी ही अद्भुत शान।
लीक नयी तुम ख़ोज निकालो, होगा जग में गुणगान।।
गर्मी-सर्दी हसीं नज़ारे, गज़ब लिये हैं अहसास।
पतझड़ अपना गीत लिये है, संगीत लिये मधुमास।
शीतल पवन लुटाए यौवन, मस्ती सावन की आन।
लीक नयी तुम खोज़ निकालो, होगा जग में गुणगान।।
चंचल लहरें दौड़ रही हैं, लिये उमंगों का राज़।
फूल खिले हैं ख़ुशबू लेकर, कोयल मीठी आवाज़।
हुनर नया अब दिखलाओ तुम, बने रहो मत नादान।
लीक नयी तुम खोज़ निकालो, होगा जग में गुणगान।।
नकल किसी की अगर करोगे, खो दोगे निज पहचान।
लीक नयी तुम खोज़ निकालो, होगा जग में गुणगान।।
#प्रार्थना..?
विजय मन पर दिलाओ रब ज़मीं ज़न्नत बना देंगे।
इबादत से मुहब्बत के मधुर नग़में बहा देंगे
दिया जीवन तुम्हीं ने है तुम्हीं शिक्षा बनो इसकी
बनाओ शील सुंदरतम तुम्हीं दिक्षा बनो इसकी
महक होगी तुम्हारी तो जहां मधुबन बना देंगे
इबादत से मुहब्बत के मधुर नग़में बहा देंगे
दया समता बने क्षमता सभी का साथ हो जाए
बने जीवन सुघर पावन सिरों पर हाथ हो जाए
तेरे आशीष से मालिक हृदय गंगा बना देंगे
इबादत से मुहब्बत के मधुर नग़में बहा देंगे
बदी से जीत जाएं हम रहें सच की निगाहों में
नज़ारे ख़ूबसूरत हों जियें हक़ की पनाहों में
इनायत हो तुम्हारी हर मुसीबत को हरा देंगे
इबादत से मुहब्बत के मधुर नग़में बहा देंगे
#आर.एस. ‘प्रीतम’
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