निच्छल नारी
एक टक एक पग सब करती है
बिना आह किये सब का मन रखती है
इसका करो ,उसका करो ,सब का करो
खुद की खुशी छोडकर सब का भरो
दो हाथ से दो सौ काम कर जाती है
हजा़र बातें सुनकर दो शब्द में मौन रह जाती है।
ये औरत है बिन कहे ही सब सह जाती है
अपनों की खुशी में खुद खुश रह जाती है।