निकालूँ कैसे
*** निकालूँ कैसे ***
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सांसों में तुम बसते हों
रूह से निकालूँ कैसे
यादों में तुम रहते हो
दिल से मैं निकालूँ कैसे
अश्कों में सदा बहते हो
आँखों से निकालूँ कैसे
रोम रोम रमते हो तुम
बदन से निकालूँ कैसे
अंग प्रत्यंग जरूरत हो
जहन से निकालूँ कैसे
मन मन्दिर में सजते हो
भाव से निकालूँ कैसे
तुम दरिया मैं हूँ साहिल
भंवर नाव निकालूँ कैसे
तुम सुरमयी मैं संगीता
ताल से निकालूँ कैसे
तुम मेरी विचारधारा
सोच से निकालूँ कैसे
तुम अर्चन मैं हूँ अर्चक
भक्ति से निकालूँ कैसै
तू हुकूमत मैं रियासत
सत्ता को निकालूँ कैसे
मैं काया तुम सांसे हो
श्वास को निकालूँ कैसे
सुखविंद्र का सेहरा हो
ताज को निकालूँ कैसे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)