निकला है हर कोई उस सफर-ऐ-जिंदगी पर, निकला है हर कोई उस सफर-ऐ-जिंदगी पर, जिसकी मंजिल मालूम फिर भी ढूंढ़ता उम्रभर ! ! डी के निवातिया