-: ना ही चहिए हमें,प्रेम के पालने :-
ना ही चहिए हमें, प्रेम के पालने,
माँ भवानी के सुत अब समर चाहते हैं।
ना ही चहिए हमें प्रेम की बांसुरी,
तीखे स्वर वाले अब हम भ्रमर चाहते है।।
गीदड़ो की तरह कोइ कब तक जिए,
शेर सी जिंदगी के दो पल चाहिए।
मौत आती नहीं, जब तलक न लिखी,
फिर आँखों में ज्वाला प्रबल चाहिए।।
हम मिटा देंगे तेरी, पीढ़ी के पीढ़ी
जन्म लेने को तरसेगी नस्ले तेरी
ये पंगा बहुत महंगा तुझको पड़ेगा
खून के आंसू रोयेगी नजरें तेरी
– पर्वत सिंह राजपूत”अधिराज “