ना जफा कहिये ना खफा कहिये
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ना जफा कहिये ना खफा कहिये।
कहिये – कहिये मुझे बला कहिये।
बर्बाद ख्वाहिशें बिखरा सपना,
दर्दे- दिल गमों से भरा कहिये।
प्यार मुहब्बत सब कहाँ खो गई,
दिलों में अब शिकवा गिला कहिये।
रूठे – रूठे से क्यों लगते हो,
हो गई ऐसी क्या खता कहिये।
तौबा-तौबा बेरूखी तेरी,
मार डाला फिर वो अदा कहिये।
कतरा-कतरा छलक रहा है जो,
आँखों से मधुरिम हाला कहिये।
देख नशा हो जाता क्यूँ इतना,
ये कैसा है राज छुपा कहिये।
अपना-सा सुन्दर अहसास लिये,
सभी राग – अनुराग घुला कहिये।
भूले तुमको बोलो हम कैसे,
हर वक्त यादों से घिरा कहिये।
आओ तुम खुद ही देखो दिल में,
प्यार कितना तेरा छुपा कहिये।
????—लक्ष्मी सिंह ?☺