#ग़ज़ल-16
वज़्न-212-212-212-212
आप ही आइना हो मिरा प्यार हो
ज़िन्दगी है तुझी से तुम्ही यार हो/1
आइए साथ हम तय करें ये सफ़र
फूल-बू की तरह ज़िंदगी पार हो/2
हो खुशी ज़िंदगी में सदा जीत की
हार के भी जहां ना कभी हार हो/3
चाँद से चाँदनी सूर्य से रोशनी
प्यार का इक यही मौन आधार हो/4
मीन जल के बिना कब रही है यहाँ
नाव साहिल लगे हाथ पतवार हो/5
मैं दुवा ये करूँ रब मिले जब मुझे
हरघड़ी यार का साथ इज़हार हो/6
प्रीत प्रीतम करे मेघ-सी होश में
खुद मिटे पर ज़मीं एक गुलज़ार हो/7
–आर.एस.प्रीतम
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