Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

नालिश भी कर नहीं सकता 

क़तरा क़तरा – कटती है
तेरी यादों की मौजें
जो बेइख़्तियार पेशानि पर मेरे
पसीने की बूँद बूँद बन के ठहरे

नालिश भी कर नहीं सकता

तू तो ख़ुद ही ग़मज़दा
और अज़ाब से गाज़िदा
है गैरों की महफ़िल की
बाज़ीचा हुई है जब से

द़ुआ कर गर आब-ए-तल्ख़
हमारा जो टपका फ़साना नारास्ती का तेरा
हो कर कहीं फ़ुगां ग़ैहान में ना फैले
जबीं पर मेरे ना उभरे
तेरी नाआश्ना होने के किस्से

अतुल “कृष्ण”
——

नालिश= आरोप, शिकायत
नाआश्ना= अजनबी
फ़साना = कहानी, चर्चा
नारास्ती= कपटता
फ़ुगां= स्र्दन, गुहार
आब-ए-तल्ख़= कड़वा पानी, आंसू, शराब
जबीं = माथा, ललाट, मस्तक
नफ़्स= आत्मा, सार, प्राण

55 Views
Books from Atul "Krishn"
View all

You may also like these posts

घर :
घर :
sushil sarna
ऐ फूलों पर चलने वालो, काॅंटों पर भी चलना सीखो ,
ऐ फूलों पर चलने वालो, काॅंटों पर भी चलना सीखो ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
फूलों से मुरझाना नहीं
फूलों से मुरझाना नहीं
Chitra Bisht
3501.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3501.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
शीत ऋतु
शीत ऋतु
Sudhir srivastava
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"शोर है"
Lohit Tamta
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
Pramila sultan
मुड़े पन्नों वाली किताब
मुड़े पन्नों वाली किताब
Surinder blackpen
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
Ravi Prakash
प्यार
प्यार
Ashok deep
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
Rj Anand Prajapati
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
*अभी और कभी*
*अभी और कभी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
राधा की भक्ति
राधा की भक्ति
Dr. Upasana Pandey
डॉ Arun Kumar शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ Arun Kumar शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आयी ऋतु बसंत की
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जय श्री राम !
जय श्री राम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
यदि मुझे काजल लगाना पड़े तुम्हारे लिए, बालों और चेहरे पर लगा
यदि मुझे काजल लगाना पड़े तुम्हारे लिए, बालों और चेहरे पर लगा
पूर्वार्थ
मैं स्वयं हूं..👇
मैं स्वयं हूं..👇
Shubham Pandey (S P)
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
विरले ही संवेदनशील
विरले ही संवेदनशील
Seema gupta,Alwar
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
पंकज परिंदा
गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
Ashwini sharma
जी सकिया ना में तेरे बिन
जी सकिया ना में तेरे बिन
Shinde Poonam
#सामयिक_रचना
#सामयिक_रचना
*प्रणय*
Loading...