Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2021 · 1 min read

नार नवेली

नार नवेली
मात्रा भार १६

निशा सुशोभित तरुण कलाधर
ज्वार तरंगे खेले सागर
ऊपर नाचे नार नवेली
हो मदमस्त सुरनार अकेली।

सौम्या देह छाई तरुणाई
है चंद्रमुखी कटि बलखाई
भौहें पिनाक अरु मृगनैनी
कंठ सुराही अति मनभायी।

पकड़ जलजाल जलधि नागर
नीर श्रृंखला पंजरा लगे
और कोमल पगतल छू सागर
शांत बेला अलौकिक लगे।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हि० प्र०।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 200 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज नींद है ,जो इंसान के कुछ समय के ल
दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज नींद है ,जो इंसान के कुछ समय के ल
Ranjeet kumar patre
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
बेहद मुश्किल हो गया, सादा जीवन आज
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किसी दिन
किसी दिन
shabina. Naaz
इश्क का इंसाफ़।
इश्क का इंसाफ़।
Taj Mohammad
सावन का महीना
सावन का महीना
विजय कुमार अग्रवाल
"चक्र"
Dr. Kishan tandon kranti
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
अब कहां लौटते हैं नादान परिंदे अपने घर को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
कदीमी याद
कदीमी याद
Sangeeta Beniwal
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
#कटाक्ष
#कटाक्ष
*Author प्रणय प्रभात*
कविता
कविता
Rambali Mishra
*नदारद शब्दकोषों से, हुआ ज्यों शब्द सेवा है (मुक्तक)*
*नदारद शब्दकोषों से, हुआ ज्यों शब्द सेवा है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Bodhisatva kastooriya
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
यथार्थवादी कविता के रस-तत्त्व +रमेशराज
कवि रमेशराज
"विक्रम" उतरा चाँद पर
Satish Srijan
वो भी तो ऐसे ही है
वो भी तो ऐसे ही है
gurudeenverma198
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
3173.*पूर्णिका*
3173.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम दो अंजाने
हम दो अंजाने
Kavita Chouhan
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
(17) यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर !
(17) यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर !
Kishore Nigam
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
पूर्वार्थ
ग़ज़ल - रहते हो
ग़ज़ल - रहते हो
Mahendra Narayan
फिर एक बार 💓
फिर एक बार 💓
Pallavi Rani
Loading...