नारी
सृष्टि का का सोपान है यही नारी
प्रकृति का विधान है यही नारी
माँ के स्वर से झंकृत है विश्व
नर की पहचान है यही नारी
सफलता के शिखर चूमे नर
उस अहं की शान है यही नारी
नारी से जन्मे पुरूष सोचिए जरा
तेरे गुन की खान है यही नारी
घर में देखभाल करती है जो
परिवार की जान है यही नारी