नारी
नारी समाज की चांदनी है,
नारी सुखद सुवास|
बस इतना उपहार उसे
दो, करो अटल विश्वास|
ईश्वर की है अद्भुत रचना,
उसके गुण का साबुत गहना|
चुप रहकर सब सहते रहना|
रिश्तों को मन से जीते रहना|
उसके लक्षण खास है|
वह मानवता का हृदय स्पर्शी
एहसास है|
पर घृणास्पद जो यथार्थ है,
उससे मन आतंकित होता|
हर पल करता अपमानित समाज
आयेगा कब सम्मानित आज|
हमें इंतजार है उस पल का
जब मन में सबके होगा
सम्मान भाव
हम बस सम्मान चाहती है
है नहीं शेष कोई भी भाव
आओ आया है मधुरिम
दिन
इस दिन का करें हृदय से
स्वागत|
बुद्धि चातुरी निगल रही है
भावधारा का करें आवभगत
मन से मुस्कराये
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
की अनंत शुभकामनाएँ
डा पूनम श्रीवास्तव वाणी