नारी
नारी का जब -जब अपमान हुआ है
तब- तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है
नारी कोमल हृदय है कमजोर नहीं
उसके त्याग, ममता का छोर नहीं
वो हंसे तो पानी का फव्वारा लगे
गुस्साए तो दहकता ज्वाला लगे
तकलीफ में जब सुबह से शाम हुआ है
तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है
नारी से ही घर गृहस्थी सवंरता है
उसके दम से कोना -कोना महकता है
वह कई सारे रूप में मिल जाती है
मां,बहन, बेटी, के रूप में दिख जाती है
घर के जगह कोठा जब मुकाम हुआ है
तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है।
कामयाब पुरुष के पीछे नारी का हाथ होता है
जग जीतते जब नारी का हौसला साथ होता है
जहां नारी खुशी का एहसास करती है
बिन बुलाए ही घर में लक्ष्मी वास करती है।
बेखता जब नारी के सर इल्जाम हुआ है
तब-तब जबरदस्त इंतकाम हुआ है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”(शिक्षिका)
जिला-कुशीनगर