“नारी”
हे नारी!
हो दया तुम, करुणा तुम, हो मातृत्व का वरदान तुम।
हो धात्री तुम, क्षमा का भंडार तुम।
जन्म का आधार तुम, लक्ष्मी का अवतार तुम।
हो आजाद तुम, स्वतंत्र भी, यह मान्यता सर्वोपरि।
फिर क्यों है तेरे लिए, पग पग यातना पीड़ा धरी ?
क्यों बिसर गया संसार यह , तुम हो वही ममतामयी ।
क्यों वेदना अदृश्य तेरी, अश्रुपूरित नेत्र की,
क्यों है तेरे लिए, दुख की बेड़ियाँ गढ़ी।
फिर क्यों है तेरे लिए, पग पग यातना पीड़ा धरी????