Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2018 · 2 min read

नारी

नारी शक्ति का वरदान है
वही जग का सम्मान है
नारी बिन जग सुन्ना है
नारी बिन सन्सार अधूरा है

नारी बहता सा कोमल पानी है
जो जग सुंदरता सा निर्मल है
प्यार ,स्नेह ,सेवा का सम्पर्ण है
जग जीवन आशीष सा दर्पण है

पगड़न्ड़ी ,रेतीली भरी रेगिस्तानी राह पर लिए
पानी की मटकी ,,
फिर भी वो नही हारी है

नारी अबला ,कमजोर नही ,
वो तो मर्दों के जीवन की
संघर्षमय ठोकर है,
जो चहरे पर करुणा सी
छलकती औजार है ।

नारी बेटी ,बहु ,सास ,बहन की ओड लिए जलती एक चिराग है
जो दो दो घरों में चीरते अंधेरों को दिया की तरह जलता प्रकाश है ।

मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है
घर और नोकरी अपने लिए नही,
बच्चों के लिए उनके जीवन के सपने पूरा करती है

फिर भी नारी को अबला समझ कर आज
चाय में गिरी मक्खी की तरह
कूड़े कचरे की तरह फेक दिया जाता है।

आज नारी को चौका चूल्हा , चारदिवाऱी ,पर्दा के अंदर
बाँध दिया जाता है,,
इसे गुलामी की जंजीरों में क्यों झगड़ दिया है

नारी गुलाबी कली है
वो सोंदर्य की मूर्ति है
महकती खुशबु सी तितली है

इस कली नारी को दहेज में मत जलाओ ,
अपना पापः अपने हाथों से मत बढ़ाओ
इसे हवश का शिकार मत बनाओ ,,
हे जग इंसान! जरा अपनी
मति को गुड़ गोबर मत बनाओ ।
इस नारी को श्री मति बनाओ ,

जिस दिन यह नारी दुर्गा का रूप ले लेगी
उस दिन , तुम्हे जो दूध
पिलाया उसी का खून लेकर
तुम्हे ही अग्नि के हवाले कर देगी ।
इसलिए प्रवीण कहता है
जो आज महिला दिवस पर आस है ,,
घर घर में नारी का सम्मान वहाँ देवता का वास है ।

✍प्रवीण शर्मा ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक

Language: Hindi
269 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!!! हार नहीं मान लेना है !!!
!!! हार नहीं मान लेना है !!!
जगदीश लववंशी
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
Mukesh Kumar Sonkar
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
"हमारे शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा कल! कैसा है रे तू
मेरा कल! कैसा है रे तू
Arun Prasad
#हास_परिहास
#हास_परिहास
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
भारत का बजट
भारत का बजट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
🐼आपकों देखना🐻‍❄️
Vivek Mishra
उदर क्षुधा
उदर क्षुधा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
२९०८/२०२३
२९०८/२०२३
कार्तिक नितिन शर्मा
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
नींद कि नजर
नींद कि नजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़िन्दगी और प्रेम की,
ज़िन्दगी और प्रेम की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दिव्य दृष्टि बाधित
दिव्य दृष्टि बाधित
Neeraj Agarwal
बसंत
बसंत
manjula chauhan
सहयोग की बातें कहाँ, विचार तो मिलते नहीं ,मिलना दिवा स्वप्न
सहयोग की बातें कहाँ, विचार तो मिलते नहीं ,मिलना दिवा स्वप्न
DrLakshman Jha Parimal
नारी
नारी
Prakash Chandra
इश्क का इंसाफ़।
इश्क का इंसाफ़।
Taj Mohammad
गाली / मुसाफिर BAITHA
गाली / मुसाफिर BAITHA
Dr MusafiR BaithA
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
(7) सरित-निमंत्रण ( स्वेद बिंदु से गीला मस्तक--)
Kishore Nigam
देह से विलग भी
देह से विलग भी
Dr fauzia Naseem shad
देश के राजनीतिज्ञ
देश के राजनीतिज्ञ
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसाँ...नदियों को खाकर वो फूला नहीं समाता है
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसाँ...नदियों को खाकर वो फूला नहीं समाता है
अनिल कुमार
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
Sukoon
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
Ankita Patel
Loading...