नारी
हमें नारी होने का भान कराया जा रहा
क्यों कठपुतली की तरह नचाया जा रहा ।
घर की चारदीवारी से बाँध रखा जमाने ने
नारी को हिंसा का शिकार बनाया जा रहा ।
नारी अबला होती है नर ने ऐसा समझ रखा
हरदम मान -मर्यादा का पाढ़ पढ़ाया जा रहा ।
समानता का अधिकार नहीं देते हैं हमें
क्यों हमें त्याग की मूर्ति बताया जा रहा ।
अपराध सारे नर का नारी पर थोपा जाता है
बारबार अग्नि -परीक्षा नारी को दिलवाया जा रहा।
हर तरह बलात्कार की चीख सुनाई देती
क्यों बल-पौरूष को घटाया जा रहा ।
नारी हर रूप में है पूज्यनीय, करो सम्मान
क्यों नहीं यह अहसास दिलाया जा रहा ।