*नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप (कुंडलिया)*
नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप (कुंडलिया)
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नारी है अर्धांगिनी, नारी मातृ-स्वरूप
अद्भुत रचना सृष्टि की, अनुपम रूप अनूप
अनुपम रूप अनूप, बहन का भाव निराला
सुंदर कोमल गात, कभी हाथों में भाला
कहते रवि कविराय, खूबियों वाली सारी
लेकर सौ-सौ रंग, ईश की कृति है नारी
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गात = शरीर
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451