नारी सृष्टि का आधार
हम नारियां अबला नहीं हैं
सृष्टि का आधार हैं
इस बात का है अभिमान हमें हम
जगत जननी व सृष्टि का श्रृंगार हैं
अब अगर हमें कोई आँखें दिखाये
तो डरना नहीं है
अगर अब कोई हाथ उठाये तो चुपचाप
सहना नहीं है
उठकर लड़ना है और आगे बढ़ना है
अपनी समस्याओं का खुद समाधान
करना है
माना कठिन डगर है इस पर डटकर
चलना है
रूढ़िवादी परम्परा को तोड़कर हिम्मत से
आगे बढ़ना है
हर युग में हम बलिदानों की खान बनी हैं
खुद को अर्पित करके सबका उत्थान करी हैं
हमें भी अब सिर उठाकर जीने का हक है
अब हम अपनी इच्छाओं को ना कुचलेंगी
सदियों से महान है हमारी गाथा अपनी
मर्यादा में रहकर
अपने पंखों को फैलाकर आसमाँ में हम भी
उड़ान भरेंगी!!
मौलिक
आभा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश