— नारी न होती तो —
सच कहा है न
नारी न होती तो कैसे
जगमग होता संसार
सच कहा है न
नारी न होती तो कैसे
चलता सब का व्यापार
सच ही तो कहा है
नारी है तो सब का
होता है घर द्वार
सच ही तो है
नारी न होती तो
कैसे सजते बाजार
नारी बिना न दुनिआ चले
नारी बिना न घर बस सके
नारी का करो सम्मान
तभी मिलेगा उप्पर वाले के
दर पर सब को स्थान
चाहे हो दादी या नानी
माँ का रिश्ता हो या
पत्नी का रिश्ता
या चुलबुल करती बेटी का
बहन हो या भाभी का
चाची या हो मामी का
एक भी न हो तो
घर होता कितना सूनसान
रखो ध्यान नारी का
तभी चलेगा यह संसार
प्यार की मूरत है नारी
घर बाहर में खुशबू है
अगर है नारी का सम्मान
अजीत कुमार तलवार
मेरठ