नारी दुर्दशा
जस्टिस फ़ॉर आसिफा का नारा सब ले लेते है,
पुनः कांड निर्भया हो जाता फिर कुछ दिन रो लेते है।
कौन नहीं जाने उन नरभक्षी हत्यारों को ,
फिर भी चुप बैठे है सब दबाये अपने आँगरो को।
देवस्थानों पर भी अब तो दुराचार होते है,
मंदिर जाने वाले भी शर्मशार होते है।
कुकर्म हुआ वही पर जहाँ भगवान को खोजा जाता है,
न उसमे कोई हलचल थी जिस पत्थर को पूजा जाता है।
बेटी बचाओ अभियान में बेटी बचायी जायेगी,
कल फिर वही बेटी सड़कों पर नोची जायेगी।
कब तक चुप बैठोगे जब तक खुद पर वार न होगा ,
क्या फिर किसी अबला पर अब येअत्याचार न होगा।
स्वच्छ भारत अभियान चलाया जाता है,
सुरक्षित भारत कौन बनायेगा।
कभी निर्भया कभी आसिफा,
फिर कोई शैतान दोहरायेगा ।