नारी दिवस्
मान हैं अभिमान हैं तू ,
हर रूप में महान हैं तू ।
देवी कभी, शक्ति कभी
साहस का एक वरदान हैं तू ।
बालक रूपी कन्या बन कर
चंचल घर रोशन किया ।
फ़िर आई बेला जब यौवन की
कुल सभ्यता का पालन किया ।
हे नारी , तू रूप रंग से हैं सजी,
सर्वगुण संपन्न हैं तू।
हर रूप में हर रंग में तू ,
हर वेश में हर ढंग में तू ,
जग का कल्याण है तू ,
हर रूप में महान हैं तू।
✍RJ