नारी तेरा रूप निराला
गाल गुलाबी नैन कजरा पतली करदी भौहें
नारी तेरा रूप निराला देख सब भौचक्के होए
गाल गुलाबी नैन कजरा पतली करदी भौहें
नथनी को गायब कर होंठ काले रंग के होए
खुले कैश चोटी कटी पतंग सा मुखडा होवे
नारी तेरा रूप निराला देख नर भौचक्के होए
साडी का पल्लू छोड़ फट्टी जिन्स बरमुंडा होवे
उच्चे उच्चे सैंडल देखो नाखून लम्बे चौड़े होए
द्रोपदी की खूनी प्रतिज्ञा कैश खोल कर रोये
नारी तेरा रूप निराला देख नर भौचक्के होए
नागिन सी काली लम्बी चोटी कमर पर होती
छम छम पायल बजती चूड़ी बिंदी से सजती
आँखों मे लाज घूंघट मे चाँद सा मुखडा होता
नारी तेरा यह रूप देख दुशासन कोई ना होता
गाल गुलाबी नैन कजरा पतली करदी भौहें
नारी तेरा रूप निराला देख सब भौचक्के होए
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588