नारी तू स्वाभिमानी है ..
नारी तू स्वाभिमानी है ..
भारत की गौरव-गाथा में तू,
इतिहास की रानी है !
कभी लड़ाई के कारण में तू,
तो कभी वीरता की निशानी है !
नारी तू स्वाभिमानी है ..
कोई भी भूखा न सोए,
जिस रसोईघर की अन्नपूर्णा है तू !
स्वामी का अर्धांग ,
निश्छल प्रेम का ममतामयी दरिया है तू !
बाँधे रखती प्रेम से हर रिश्ते को,
हर घर की मज़बूत धराशिला है तू !
नारी तू स्वाभिमानी है ..
आधुनिकता की मूरत है तू !
उजली तेरी सूरत है ।
अंधियारे में करे रोशनी तू !
ऐसी तेरी सीरत है ।
नारी तू स्वाभिमानी है ..
नारी तू है महान ,
भगवान की अनुपम रचना,
जिसका वेद भी करते बखान है ।
विद्या की देवी सरस्वती तू,
धन-वैभव की लक्ष्मी है ।
दुष्टों का संहार करें तू !
देख प्रचंड अग्नि है ।
नारी तू ही है -अंत और आरम्भ ।
– मीनू यादव (गुरुग्राम-हरियाणा)*