नारी जागरूकता
सड़कों पर चीर हरण होता है,
बेटियों का मरण होता है।
अभी भी हैं दुर्योधन, दुशासन,
अभी भी है अधर्मी शासन।
बेटियों को अब द्रौपदी नहीं काली बनना है,
क्योंकि….
बचाने के लिए अब श्याम नहीं है,
अब इस दुनिया में कोई राम नहीं है।
खुद में भर लें बेटियां इतनी ताकत,
स्वयं ही कर लें स्वयं की हिफाज़त।
तोड़ दें स्त्री ये बारीक बेड़ियाँ,
जैसे जीते हैं बेटे वैसे जिएँ अब हर घर में बेटियां।
बेटियां रहे सुरक्षित प्रत्येक माता-पिता को कानून से बस एक यही आशा है,
सवाल उठाओ सब मिलकर….
खुले घूम रहे हैं जो दरिंदे….
क्या ये ही न्याय की परिभाषा है?
आख़िर इन कुकर्मों का उत्तरदायी कौन है,
अपराधी तो हम भी हैं….
कुछ दिन कैंडल्स जलाकर,
स्टेटस लगाकर….
फ़िर क्यों हो जाता ये सिस्टम मौन है?
बेटियों की आबरू जब सड़कों पर तार-तार होती है,
तब इंसानियत भी शर्मसार होती है।
अब फिर से ना कोई आसिफ़ा, दामिनी, जैनब हो,
अब ना कोई निर्भया हो….
बस इस समाज में सुरक्षित बेटियां हो।
समाज उन बच्चियों को उस नज़र से देखता है,
जैसे कि गलत उनके साथ नहीं हुआ….
उन्होंने किया है,
संकुचित मानसिकता को छोड़ो यारों….
बेटियों के लिए ही क्यों ये नज़रिया है।
समाज में जागरूकता लानी होगी,
सिर्फ़ बातें करनी नहीं हैं….
हमें वो बाते निभानी होगी।
हमने अपनी संस्कृति और हिंदुत्व को अपनाना है,
मिलकर हमें फिर से सुरक्षित और अनुपम भारत बनाना है।
अब इतिहास फिर ना दोहराये खुद को,
अब फिर ना किसी बच्ची की अखबार के पन्नों में दर्ज कहानी हो….
काश ये सिर्फ़ ज्योति कि नहीं….
पूरे हिंदुस्तान की ज़ुबानी हो।।।
-ज्योति खारी