“नारी जब माँ से काली बनी”
नारी जब माँ से काली बनीं तब देवी कहलाईं,
देवी का रूप धरीं ,सृष्टि ही रच डालीं।
माँ ने नौ रूप धरे नवदुर्गा कहलाईं,
नारी ही देवी बन शक्ति स्वरूपा कहलाईं।
नारी को घर वर देने वाली देवी गौरी कहलाई,
स्नेह वात्सल्य ,ममता रूप में देवी शीतला कहलाईं।
जीवन के पालन में अन्न रूप में देवी अन्नपूर्णा कहलाईं,
लोक लाज के रूप में ,देवी सीता कहलाई।
धन दौलत आभूषण के रूप में देवी लक्ष्मी कहलाई,
प्रेम ,समर्पण के रूप में देवी राधा कहलाई।
नारी बनी जब जन्मदायनी तब वो माँ कहलाई,
भाई की रक्षा की कामिनी तब वो बहन कहलाई।
नौ रूपों मे होता कन्या पूजन वो बेटी कहलाईं,
जीवन भर संग चलने वाली वो पत्नी कहलाई।
जो सब कष्टो को सहीं वो धरती कहलाईं,
जब नारी माँ से देवी बनी तब काली कहलाईं।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️